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नाहीं नाहीं करै / सेनापति

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नाहीं नाहीं करै,थोडो माँगे सब दैन कहै,
            मंगल को देखि पट देत बार बार है .
जिनके मिलत भली प्रापति की घटी होति,
            सदा शुभ जनमन भावै निरधार है .
भोगी ह्वै रहत बिलसत अवनी के मध्य,
            कन कन जोरै, दान पाठ परवार है.
सेनापति वचन की रचना निहारि देखौ,
            दाता और सूम दोउ कीन्हें इकसार है.