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नाहीं भवा जौन सोचे / जगदीश पीयूष
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नाहीं भवा जौन सोचे।
चारिव ओरी लोगा नोचे॥
जिनगी होइगै जैसे भुजवा कै भरार माई जी।
होये केत्ती देरी बाद भिनसार माई जी॥
आपन आपन होइगै बात।
सबका स्वारथ अहै पिरात॥
चोरए लइगे लेई पूंजी सबै झार माई जी।
होये केत्ती देरी बाद भिनसार माई जी॥
धोखा धोखी होइगै चाल।
नाहीं बाटै तबौ मलाल॥
मारैं व्यंग-बान होय आर पार माई जी।
होये केत्ती देरी बाद भिनसार माई जी॥
बड़ा बड़ा नाव बा।
सड़कै लाग गांव बा॥
रस्ता काटै ठांव ठांव पै बिलार माई जी।
होये केत्ती देरी बाद भिनसार माई जी॥