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ना कहूँ जब की, ना कहूँ तब की / बुल्ले शाह

मैं अतीत की बात नहीं कहता
मैं वर्तमान की बात करता हूँ
यदि गुरू गोविन्द सिंह नहीं होते,
हर व्यक्ति तब मुस्लिम होता।

मूल पंजाबी पाठ

ना कहूँ जब की, ना कहूँ तब की,
बात कहूँ मैं अब की,
अगर ना होते गुरु गोविन्द सिंह,
सुन्नत होती सभ की।