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ना / सपन सारन
Kavita Kosh से
हाँ की शुरुआत
अक्सर ना से होती है
क्योंकि ना बोलकर मैं सोच सकता हूँ ।
हाँ बोलकर मैं फंस जाऊँगा
ना को मैं बदल सकता हूँ
हाँ को हिला नहीं पाऊँगा
ना के बाद हाँ होने में एक ख़ुशी है
जबकि हाँ के बाद ना में मायूसी है।
मैं मायूसी से डरता हूँ
इसलिए ना का इस्तेमाल करता हूँ।
जी, घमण्डी नहीं हूँ।