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निंदिया / प्रकाश मनु

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चुपके-चुपके आती निंदिया,
गाकर मुझे सुलाती निंदिया।

अंधकार जब छाने लगता,
हलके कदम बढ़ाती निंदिया।

माथे पर चंदा की बिंदिया,
खड़ी दूर मुसकाती निंदिया।

परियों वाली एक कहानी,
रोज उसे दोहराती निंदिया।

खूब दिखाती बाग-बगीचे,
जब सपना बन जाती निंदिया।

थपकी देकर मुझे सुनाती,
हँस-हँस लोरी गाती निंदिया।

रोज नए सपने लाती है,
इसीलिए इठलाती निंदिया।

सूरज निकला, बस, पल भर में-
छू-मंतर हो जाती निंदिया।