निकोहिश है सज़ा, फ़रियादी-ए-बेदाद-ए-दिलबर की / ग़ालिब
निकोहिश<ref>बदनामी</ref> है सज़ा, फ़रियादी-ए-बे-दाद-ए-दिलबर<ref>दिल चोरी करने वाले के जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वाला</ref> की
मबादा<ref>इस डर से</ref> ख़न्दा-ए-दनदां-नुमा<ref>दाँत दिखाते हुए मुस्कराना</ref> हो सुबह महशर<ref>क़यामत</ref> की
रग-ए-लैला, को ख़ाक-ए-दश्त-ए-मजनूं<ref>मजनूं के रेगिस्तान की मिट्टी</ref> रेशगी<ref>कुछ भी याद न रहने की दशा</ref> बख़्शे
अगर बोवे बजा-ए-दाना<ref>बीज की जगह</ref> दहक़ां<ref>किसान</ref>, नोक नश्तर की
पर-ए-परवाना<ref>पतंगे का पँख</ref> शायद बादबान-ए-किश्ती-ए-मै<ref>शराब की नाव का पाल</ref> था
हुई मजलिस की गरमी से रवानी<ref>चल पड़ना</ref> दौर-ए-साग़र<ref>सुराही</ref> की
करूं बे-दाद-ए-ज़ौक़-ए-पर-फ़िशानी<ref>पर फड़फड़ाने की ज़ालिम इच्छा</ref> अ़रज़ क्या, क़ुदरत
कि ताक़त उड़ गई उड़ने से पहले मेरे शह-पर<ref>पँख</ref> की
कहां तक रोऊं उस के ख़ेमे के पीछे, क़यामत है
मेरी क़िस्मत में, या रब !, क्या न थी दीवार पत्थर की