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निगाहों से निगाहें तो मिला लो / रंजना वर्मा
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निगाहों से निगाहें तो मिला लो
जहाँ हो पास अपनों को बुला लो
तुम्हारे ही हवाले जिन्दगानी
इसे जिस ओर जी चाहे चला लो
चमन में अब हवाएँ चल रही हैं
जरा खुशबू हवाओं की मिला लो
तुम्हारे बिन बड़ा बेचैन है दिल
न भूले हम तुम्हे तुम ही भुला लो
अँधेरों में भटक जाना है मुमकिन
मुसाफ़िर हो मशालें तो जला लो
सहर आवाज़ देती जाग जाओ
गुलों पर बूँद शबनम की खिला लो
उठा सैलाब हैं लहरें हठीली
जरा पतवार तो अपनी चला लो
चली जायेगी चल कर पास मंजिल
चला ग़र कोशिशों के सिलसिला लो
सफर की मुश्किलें आसान होंगी
उमीदों का कोई दीपक जला लो