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निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठा खूगर-ए-आलाम रहने दे / मजाज़ लखनवी
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निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठा खूगर-ए-आलाम रहने दे
हमें नाकाम रहना है हमें नाकाम रहने दे
किसी मासूम पर बेदाद का इलज़ाम क्या मानी
यह वहशत-खेज़ बातें इश्क़-ए-बद-अंजाम रहने दे
अभी रहने दे दिल में शौक़-ए-शोरीदा के हंगामे
अभी सर में मोहब्बत का जुनून-ए-खाम रहने दे
अभी रहने दे कुछ दिन लुत्फ़-ए-नगमा-ए-मस्ती-ए-सहबा
अभी यह साज़ रहने अभी यह जाम रहने दे
कहाँ तक हुस्न भी आखिर करे पास-ए-रवादारी
अगर यह इश्क़ खुद ही फर्क-ए-खास-ओ-आम रहने दे
ब-ईं रिन्दी मजाज़ एक शाएर, मजदूर, दह्कान है
अगर शहरों में वो बदनाम है, बदनाम रहने दे