नित प्रेम की सु धार बहाती हैं नारियाँ
दुनियाँ के सभी कष्ट मिटाती हैं नारियाँ
तू कर्म करे या न करे बोलती नहीं
कर्तव्य किन्तु अपने निभाती हैं नारियाँ
संसार मे सदैव तिरस्कार हो मगर
नित मान और प्यार बढ़ाती हैं नारियाँ
भेजा है इन्हें ब्रह्म ने निज रूप बना कर
देवों को भी गोदी में खिलाती हैं नारियाँ
हों पुत्र या कि पुत्रियाँ अंतर न ये करें
सब पर समान प्यार लुटाती हैं नारियाँ
सौहार्द्र स्नेह बाँटती फिरती हैं' सभी में
रिश्ते नये सदैव बनाती हैं नारियाँ
घूँघट हटा के आज खड़ी सामने हुईं
अब हौसलों के गीत सुनाती हैं नारियाँ