भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निद्राहीन रात्रि / हो ची मिन्ह
Kavita Kosh से
पहला पहर...
दूसरा...
तीसरा भी ढल चुका
करवटॆं बदलता मैं बेकल
लगता है
नींद नहीं आने की
चौथा पहर...
पाँचवाँ...
पलकें मूंदते ही
पँचकोना तारा
दिखता है सपने में
वियतनाम के राष्ट्रीय ध्वज पर पँचकोना तारा बना हुआ है