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निपट अकेला / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
साँझ की उदासी में
बैठा हूँ; खिड़की से लगा
अकेला
पच्छिम-संसार
शून्य नभ
दीठ में तिरता
-अरूप मेला