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निमंत्रण / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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भ्रमर को मिला जब सुमन का निमंत्रण,
न ठुकरा सका तब मिलन का निमंत्रण

जवानी! ज़रा देख कर राह चलना
चुभन बन न जाए चमन का निमंत्रण

बुलाया बहुत पर नहीं नींद आई
सुहाया न उसको सपन का निमंत्रण

मरण के वरण का बहाना बना है
शलभ तक पहुँच कर जलन का निमंत्रण

यहाँ ज़िन्दगी का कहाँ मान होता
जो मिलता न उसको कफ़न का निमंत्रण