भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निमत / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बगत
सिकन्दर
बगत
पोरस
न कोई जीत्यो
न कोई हार्यो
बै तो हा
दो संसकिरत्यां रै
मिलण रा
निमत
जुद्ध‘र रमत
सारीसी दोन्यां री गत !