नियामगिरी से सुलगते हुए उठना / सुहास बोरकर
हम आज़ाद पैदा हुए थे
यह हमारी ज़मीन है
हमारे जंगल हैं
हमारी नदी है
हमारा पहाड़ है
और पहाड़ की चोटी की चट्टान के नीचे
सुलग रही है कालातीत अग्नि हमारे सम्मान की
इन सब पर तुम चलाते हो अपने विकास का काला जादू
हमारी आज़ादी छीनने
और हमारे विश्वासों, मूल्यों और संस्कृति
को मार डालने के लिए.
क्या तुम हमारे देवता को खोद कर चुरा सकते हो
क्या तुम हमारी प्रकृति को कुरूप बना सकते हो
हम तुम्हारा प्रतिरोध करेंगे
प्रतिरोध हम करेंगे ही
जबतक हम तुम्हें शक्तिहीन न कर दें
तुम्हारे हथियार हो जाएंगे बेकार
क्योंकि तुम हमारे विश्वास को चुरा नहीं सकते
तुम कभी नहीं जान पाओगे क्या हुआ
लेकिन ऐसा होगा
नियामगिरी से आग के झंडे बरसेंगे
जिन्हें वंशधारा की लहरें बहा कर
ले आएंगी हमारे दिलों तक और हम उठेंगे
चमकते हुए पसीने की धार ले कर
सुलगते हुए
अपने संघर्ष की फसल काटने के लिए
हम एकबार फिर आज़ाद होंगे
आज़ाद होंगे हम एक बार फिर
अनुवाद : हेमंत जोशी