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निरभागी ! / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
भलाई
धपाऊ सींच
कोनी उगै
कोरडू बीज,
पथराईजग्यो
ईण रै
अंतस रो सिरजण ?
कठै पड़यो है
कळजुग में
राम रो चरण ?
अबै तो
चुगसी इण नै
जद कोई
भूखो पंखेरू
जणां सुधरसी
इण निरीभागी री
जूण !