पिता
एक शब्द में डूब गए हैं
उसी से
प्रेम करते हैं
उसी पर
जीवन लुटाते हैं
उसी के
दुख में द्रवित
विषाद से भर गए हैं महाकवि
महाकाव्य के जीवन में
वह क्षण आता है
जब सारे शब्दों में व्याप्त होकर
एक ही शब्द पन्नों पर काँपता है--
सरोज
पिता
एक शब्द में डूब गए हैं
उसी से
प्रेम करते हैं
उसी पर
जीवन लुटाते हैं
उसी के
दुख में द्रवित
विषाद से भर गए हैं महाकवि
महाकाव्य के जीवन में
वह क्षण आता है
जब सारे शब्दों में व्याप्त होकर
एक ही शब्द पन्नों पर काँपता है--
सरोज