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निराला के प्रति / ध्रुव शुक्ल
Kavita Kosh से
पिता
एक शब्द में डूब गए हैं
उसी से
प्रेम करते हैं
उसी पर
जीवन लुटाते हैं
उसी के
दुख में द्रवित
विषाद से भर गए हैं महाकवि
महाकाव्य के जीवन में
वह क्षण आता है
जब सारे शब्दों में व्याप्त होकर
एक ही शब्द पन्नों पर काँपता है--
सरोज