शेष हुआ वह शंखनाद अब
पूजा बीती !
इन्दीवर की कथा रही
तुम तो अर्पित हुए स्वयं ही ।
ओ महाप्राण !
इस कालरात्रि की गहन तमिस्रा
किन्तु न रीती !
किन्तु न रीती !!
शेष हुआ वह शंखनाद अब
पूजा बीती !
इन्दीवर की कथा रही
तुम तो अर्पित हुए स्वयं ही ।
ओ महाप्राण !
इस कालरात्रि की गहन तमिस्रा
किन्तु न रीती !
किन्तु न रीती !!