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निर्गुण-निराकारके साधक पाते हैं / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग रामकली-ताल धमार)
 
निर्गुण-निराकारके साधक पाते हैं ‘कैवल्य’ महान।
होते लीन ब्रह्मामें तत्क्षण क्षारोदधि में लवण-समान॥
पर ‘कैवल्य’ नहीं दे पाता जिन प्रेमी भक्तों को तोष।
मुक्त भक्त वे ‘परमधाम’ में जाकर पाते हैं परितोष॥