भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निर्गुण गीत-पिया दूर देश गेलै / धीरज पंडित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिया दूर देश गेलै हमरोॅ करनामा
हम्मेॅ नय मानेॅलियै होकरोॅ कहनमा।

पाँच रंग चोली लेली रूसी केॅ बैइठलोॅ
सजी धेजी घोघनोॅ हम्मेॅ लटकैइलोॅ
दूर-दूर ऐतना हम्मेॅ करलोॅ
कखून नय छुवलोॅ होकरोॅ चरनामा

गामो के लोग सबटा होय गेलै बैरी
करी केॅ बहार हमरा देलकै छोड़ी
नाता हमरा से लेलकै तोड़ी
होय गेलै ससुराल हमरोॅ सपनमा
नैऽहिरा के रस्ता भूली गेलियै
भाई-भतीजा के आस लगैलियै
लाख चौरासी के भरमण कैलियै
दर-दर खोजलियै सौंसे जहनामा

आखिर हम्में घुमी-फिरी अइलोॅ
नाम गुरू केहम्मे जपलोॅ
आँख मुंदी के ध्यान लगैइलोॅ
‘धीरज’ होइलै पिया से मिलनमा