भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निर्णायक / शैलजा पाठक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे निर्णायक की भूमिका में थे
अपनी सफ़ेद पगड़ियों को
अपने सर पर धरे
अपना काला निर्णय
हवा में उछाला

इज्जतदार भीड़ ने
लड़की और लड़के को
जमीन में घसीटा
और गाँव की
सीमा पर पटक दिया

सारी रात गाँव के दिये
मद्धिम जले
गाय रंभाती रही
कुछ न खाया

सबने अपनी सफ़ेद पगड़ी खोल दी
एक उदास कफन में सोती रही धरती

रेंगता रहा प्रेम गाँव की सीमा पर