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निर्दयी संसार की बातें करें / जतिंदर शारदा

निर्दयी संसार की बातें करें
स्वार्थी व्यवहार की बातें करें

सृष्टि का सौंदर्य तेरा रूप है
दिव्यता साकार की बातें करें

मूकता जब मुखर होती है स्वयं
किसलिए बेकार की बातें करें

ज़िंदगी का ज़िक्र छेड़ा है अगर
आओ कारागार की बातें करें

हादसे अपहरण रिश्वत लूटपाट
आज के अख़बार की बातें करें

दिल में बैठा टोकता है जो हमें
आओ उस दिलदार की बातें करें

तेरी अंगड़ाई का आलम देखकर
सागरों के ज्वार की बातें करें

नए युग की रूपरेखा के लिए
सृजन और संहार की बातें करें

रूठ जाओ तुम मनाने के लिए
आपसे मनुहार की बातें करें

आपको देखा था छत पर शाम को
चांद के अवतार की बातें करें