भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निर्मल वर्मा की कहानियाँ-1 / मनीष मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुखो को छीलती हई
तराशती हुई चेहरो के संताप
जोड़ती जमा करती
एक-एक कतरा तकलीफ़।

मेपल के पेड़ो से झरती
उदासी को समेटती

एक सुरियलिस्टिक
स्वप्न में जीती
कहानियाँ ।