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निलजो सूरज / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
कोनी सुणीजै
बोलाळो
हुग्यां गूंगा
गांव रा झूपां,
मारै हेला
सूना पड़्या
पंखेरूवां रा आळा,
रूजग्या
आंध्यां स्यूं ऊंदरा रा बिल,
झड़ग्या रूखां रा
पानड़ा,
सूखग्या सदाबहार आकड़ा,
नाचै भूतां सा
रिणरोही में बघूळिया,
भमै गिगनार में
मरी माटी खातर
गिरझड़ा,
कानी रयो
एक जग्यां थरप्योड़ो
बस्ती रो मुसाण,
जठै तांईं जावै दीठ
बठै तांईं पसरगी
बीं री सींव
पड़ी है साव नागी
धरती री लाष,
देखै खरी मींट स्यूं
निलजो सूरज
अणढक्या बोबा
गोरा धोरा !