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निवेदन / विनोद विट्ठल

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जिस सुबह नहीं आएँगे अखबार 
उस सुबह भी आएगी ओस

जिस रात पौने नौ के नहीं आएँगे समाचार 
उस रात भी आएगा चान्द

कैलेण्डरों के बिना भी मौसम आएँगे 
पक्षी पासपोर्ट के बिना 
लतरें दिखेंगी पहाड़ों की सलवटों में 
घास की तरह उगाए बिना

बिना अनुमति गाएँगी चिड़ियाएँ
रेंगेंगी चींटियाँ 
घोंसले बनाएँगे क़बूतर 
रम्भाएँगी गायें और भौंकेंगे कुत्ते

आप बिना दरवाज़े की चौखट हो जाएँ
या फिर छत पर रखी चारपाई
2019 के महाप्रभुओ !
दुनिया सरहद और शक्ति के अलावा भी है ।