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निशान / कुमार विजय गुप्त

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वह युग तो बीत गया कब ही का
फिर आपकी पीठ पर कहॉं से आये
कोड़े के निशान,
कहीं सहलायी तो नहीं पीठ आपकी
आपके भाग्य विघाता ने !