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निष्ठुरता / मनोज कुमार झा
Kavita Kosh से
जाड़े में कहा गया उस स्त्री से
राहत देती होगी चूल्हे की आँच
गर्मी में कहा गया
बर्तन धोते पानी ठंडक सौंपता होगा
भूमिहीन मजूर से कहा गया सूखे में
इस साल आराम का अच्छा मौका है
मैं ये सब कहाँ सुना याद नहीं
लेकिन सुना जरूर
शायद, अरकार-सरकार के लगुए-भगुए
ताकतवरों के गपशप में।