भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निष्फल / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
प्रमाणित यह कि
जिसके पास
है अधिकार; है धन
शक्तिशाली
वह।
शक्तिशाली ने
स्वार्थ-साधन में,
वासनाओं की अहर्निश पूर्ति में
दुर्बल-वर्ग को
लूटा - खसोटा,
जिस तरह चाहा
समय भोगा !
हर जगह निर्मित
वैभव-द्वीप उसके,
फैला हुआ है
चक्रवर्ती राज्य उसका,
उसी का गूँजता सर्वत्र
जय-जयकार !
दुष्कर दीखता बनना
शोषण-मुक्त, समता-युक्त
अभिनव विश्व का आकार।
शक्तिशाली
क्यों नहीं बनता
महा मानव,
न्याय-धर्मी लोकप्रिय
अवतार !