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निस्तब्ध / थीक न्हात हन / सौरभ राय
Kavita Kosh से
चूम लो यह धरती
बढ़ो और स्पर्श करो निस्तब्धता का
चलो और छुओ जीवन को
हर क़दम हवा की नई बयार है
हर क़दम पर खिले हैं नए फूल
चूम लो धरती को अपने पाँवों से
धरती को सौंपो अपनी ख़ुशी
धरती तब तक निरापद रहेगी
जब तक हम करेंगे प्रेम।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय