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निरजन वन / जगदीश प्रसाद मण्डल
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निरजन वन निरजल पक्षी
गुड़-गृह गुरु गुहारि रहल छै।
सतरंगी-बहुरंगी संसारमे
अपन पएर पखाड़ि रहल छै।
अपन पएर...।
सुरूजो एक धरतियो एक्के
अग-जल हवा सिहकि रहल छै।
खल-खल खलि खलिया
टूक-टूक टुकड़ी तोड़ि रहल छै।
टूक-टूक टुकड़ी......।
जइसन जल-थल जतए
सिरजन सिर ततए रचै छै।
मन-तन धधकि-धधकि ततए
पछ सरि पंछी बनैत रहै छै।
निरजन वन...।