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नींद का बोझ / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
जैसे ही
भृकुटी
पर उतरता है
नींद का बोझ
वैसे ही
सौंप देती है भृकुटी
अनुभूत पलकों को
सारे
अधिकार अपने
नींद का बोझ
उठाने के लिए...!