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नींद के आगोश में खो जाइए / नक़्श लायलपुरी
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नींद के आगोश में खो जाइए।
थक गए हैं अब ज़रा सो जाइए।
अहले शोहरत देख लें तो जल उठें,
शहर में बदनाम यूँ हो जाइए।
जुस्तजू जाने न दीजे रायगाँ,
गुमशुदा मंज़िल में गुम हो जाइए।
जागना बिस्तर की भी तौहीन है,
रात बाक़ी है अभी सो जाइए।
ज़िन्दगी पर नक़्श कितने मर मिटे,
आप भी दो चार दिन रो जाइए।