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नींद सुलाने तुझको आई / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सो जा मेरे प्यारे बेटे!
नींद सुलाने तुझको आई।
अब तो गहरी रात हो गई
छाया चारों ओर अँधेरा
राह न चलता कोई पंथी
थक कर डाल दिया है डेरा
चिड़ियाँ भी बच्चों से कहतीं
सो जा, सो जा निंदिया आई
सूरज ने सब किरण समेटी
अब चन्दा कि आई बारी।
घूम रहा है आसमान में
फ़ैल रही रुपा उजियारी।
सबके ऊपर कैसी इसकी
चाँदी जैसी चादर छाई।
सो जा सो जा निंदिया आई
नींद सुलाने तुझको आई