भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नींद / श्रीप्रसाद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नींद बड़ी अच्छी लगती है
मीठी गोली जैसी
नींद बड़ी अच्छी लगती है
माँ की बोली जेसी

नींद बड़ी अच्छी लगती है
अपने खेलों जैसी
नींद बड़ी अच्छी लगती है
सुंदर मेलों जैसी
नींद बड़ी अच्छी लगती है
झिलमिल किरनों जैसी
नींद बड़ी अच्छी लगती है
चंचल हिरनों जैसी

नींद बड़ी अच्छी लगती है
अपनी नानी जैसी
नींद बड़ी अच्छी लगती है
कथा कहानी जैसी

नींद बड़ी अच्छी लगती है
मुझे नींद आई है
नींद बड़ी अच्छी लगती है
आकर अलसाई है।