नींव की ईंट / अशोक तिवारी
नींव की ईंट
नींव की ईंट नींव में होती है
दिखाई नहीं देती
इसलिए कि अदृश्य होना 
अपनी उपस्थिति नहीं करता है दर्ज 
नींव की ईंट रहती है
अनुपस्थित पूरे परिदृश्य से 
सँभाले हुए पूरा बोझ  
नहीं की जाती है 
चर्चा में शरीक़
हो जाती है शुमार 
ग़ैर ज़रूरी चीज़ों में 
इमारतों के झुंड के झुंड 
नहा रहे होते हैं जब 
रोशनी के समंदर में 
ले रहे होते हैं मज़े क़ामयाबी के 
ख़ूबसूरत उपादानों के साथ
पड़ी होती है
नींव की ईंट 
अँधेरे की गुमनामी में चुपचाप
नींव की ईंट 
कहने में नहीं 
करने में यक़ीन रखती है
करने की ख़ातिर 
मरने में यक़ीन रखती है
मज़बूती के साथ
वह ख़ुद ही करती है फ़ख़्र 
अपने दायित्वों पर
ख़ुद ही कर्तव्यबोध भी
नींव की ईंट
क्या सचमुच दिखाई नहीं देती
या कर दी जाती है नज़रंदाज
महत्वाकांक्षाओं के चलते!!
02/02/2012
 
	
	

