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नीं मांडणो अड़ो / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
भरोसो मत तोड़्यै
ना हुयै आकळ-बाकळ
पतियारो राखजै
मोर नाचैला
कोयल री मिठास
धोरां बिचाळै
थारो सुआगत।
संदेसो इंदर रो
म्हारै कनै
जेठ मांय लेयनै आयो
भोरान भोर।
नीं मांडणो अड़ो
अबकै सावण
उतरतै भादवै तांई
तिरियां-मिरियां
धोरां आळो देस
बरस, बरस, बरस!