भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नीकौ नई रजऊ मन लगवौ / ईसुरी
Kavita Kosh से
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: ईसुरी
नीकौ नई रजऊ मन लगवौ,
एइ सें करत हटकवौ।
मन लागौ लगजात जनम खाँ,
रौमंई रौंम कसकवौ।
सुनतीं, तुमे सऔ ना जै हैं,
सब - सब रातन जगवौ।
कछु दिनन में होत कछु मन
लगन लगत लै भगवौ।
ईसुर जे आसान नहीं है
प्रान पराये हरवौ।