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नीति आउ राजनीति / मुनेश्वर ‘शमन’
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नीति आउ राजनीति
दून्नों दू चीज हइ।
एकरा एक्के कसौटी पर /
कसइन भूल हे।
नीतीया के नञ हे गवारा/राजनीति
बाकी राजनीति के /
थोड़-थाड़ नीतियो भी /
होवे हे कबूल।
एगो धोवल-धावल।
बगबग उज्जर हे / पावन हे।
एगो सहेजने चले हे गंदगी।
नीति मह-मह फूल हे
त ऽ राजनीति ममटगर बबूल।
मितवा
तूँ भी परखय ले चाह ऽ हा
त ऽ परख के देख ला
मुदा-
जे भी गोंता, लगइलक
ऊ पइलक / कि
एगो पाले हे सुगंध।
एगो उछाले हे सड़ांध।
हाय रे किस्मत
हम सभ सुगंध छोड़
सड़ांध देने बढ़ रहल ही।