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नीतू-मीतू / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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नीतू - कथा पुरनका अभियो धरलोॅ
बिजली से पहिनें की बरलोॅ?
मीतू - पहिनें डिबिया, लालटेल बरलै
तब बिजली के खम्भा गड़लै
खम्भा ऊपर मोटका तार
सगरै छै बिजली भरमार।
नीतू - बाद में आरॉ की-की ऐलै..?
मीतू- झालर बाला रस्सी ऐलै
बिजली पंखा बत्ती ऐलै
सगरे चक-चक करै ईनोर
लागै अधरतिया के भोर।
फोन-मोबाइल, टीवी, ए.सी.
बढ़लै सुखिया घर के सेखी
पाँच मिनट में टंकी भरलै
पहिनें डिबिया, लालटेल बरलै।