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नीमिया रे कडुआइन, सीतल बतास बहे हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नीमिया रे कडुआइन<ref>स्वाद में कड़वा</ref> सीतल बतास बहे हे।
ताहि तरे ठाढ़<ref>खड़ा</ref> दुलरइता दुलहा, नयना दुनो लोर<ref>अश्रु, आँसू</ref> ढरे हे॥1॥
घर से बाहर भेलन दुलरइता दादा, काहे बाबू लोर ढरे हे।
किया बाबू आजन बाजन थोड़ा भेल, साजन<ref>सजावट, कपड़े, पहनावे आदि। ‘आजन-बाजन’ के तुक पर ‘साज’ का ‘साजन’ हो गया है</ref> घुमइला<ref>धूमिल; मलिन; मैला</ref> भेल हे॥2॥
माइ के जनमल दुलरइता भइया, सेहु न जोरे<ref>साथ में</ref> जयतन हे।
पाँचो भइया पाँचो दहिन बहियाँ<ref>दाहिनी भुजा के समान निरंतर रक्षक, सहायक</ref> जइहें, जौरे बहनोइया जइहें हे॥3॥

शब्दार्थ
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