नीमि तर आहे सँवरो, कूटले पिठार हे / भोजपुरी
नीमि तर आहे सँवरो, कूटले पिठार हे;
बर तर आहे जोगिया, बँसिया बजावे।।१।।
हाँ रे, बँसिया बजवते जोगी हे, रंग उड़वले;
कि घरहूँ के काम-काज सेहू जिसरवले।।२।।
हाँ रे, जाहू-जाहू आहे सँवरो, घर काज करहू;
साँझी बेरिया अइह सँवरो, जँघिया बइठाइब, बंसिया सुनाइब।।३।।
हाँ रे, बोलिया त बोलल जोगी हो, बोलिया कुबोलिया;
कि आवे देहू हमरो बिअहुआ, कि हरिया ठोकाइब, तोर जिउ मारब।।४।।
हाँरे, हँकरहू- हाँकरहू नगरी के बढ़इया,
कि जोगिया लागी आहे बढ़इया, हरिया उरेहू।।५।।
हाँ रे, कथिकर टँगिया, कथिए लागे बेंटवा;
कि चलिए भइले आहे बढ़इया, कवने रे बनवाँ, हरिया उरेहे।।६।।
हाँ रे, सोने केर टँगिया, रूपे लागे बेंटवा;
कि चलिए भइले आरे बढ़इया चंदन बनवाँ, हरिया उरेहे।।७।।
हाँ रे, काँचे काठ हरिया, सूखल काठ बेंटवा;
धीरहीं से ठोकु रे बढ़इया, अलपी-कलपी जोगिया, सेहू मरि जाय।।८।।
हाँ रे, बाट के बटोहिया रे, तूहूँ मोरे भइया;
से हमरो सनेसवा रे भैया, सँवरो लगे कहिहे रे।।९।।
हाँ रे, डगरे बुलिय-बुली हाँक पारे बटोहिया,
कि पानी के पिआसल जोगिया पानी भला माँगे।।१0।।
हाँ रे, लेहू-लेहू आहे ननदी, आनन्दी के भूँजवा;
हम लेबों आहे ननदी, गंगा जुडि़ पानी।।११।।
हाँ रे, लात मारे हरिया, छटकि गइले कीलवा,
आ रे धीरहीं से उठु रे जोगी, पानी के पियासल, पानी भला पीयहू रे।।१२।।
हाँ रे, पनिया पिअवलू सँवरो, हियरा जुड़वलू;
कि एक मन करे सँवरो, कोरा पइसि सूततों।।१३।।
हाँ रे, एक बेरिया कहले जोगिया, उहो गति भइले;
फेरि बोले बोलिया कुबोली।।१४।।