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नीम के करेले / रमेश रंजक

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पावन के उजड़े दिन
नीम के करेले
पावस के दिन

लवण लगी संध्याएँ
जूड़े-सी खुल जाएँ
हम डूबे उतराएँ
व्योम में अकेले
पावस के दिन

टूट गई सुधि-साँकल
मुक्त अंजनी बादल
झरते अनछुए उपल
अनचाहे झेले
पावस के दिन