भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नीराजन / देवाधिदेव / जनार्दन राय
Kavita Kosh से
जय हो माता पारवती, पिता शम्भु सुख-धाम,
सीय राम शारदा का कभी न भूलू नाम।
हूं उतारता आरती घर कर पावन-ध्यान,
कृपा करें सब देव गण देकर मुझको ज्ञान।
शब्दों के ही सुमन से पूजूँ हे करतार,
मोह, वासना-तिमिर से लेलो मुझे उबार।