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नीलम देश के राजकुमार / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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के वियोगी ऐतै
अपनोॅ शाप के दिन बिताय केॅ?
कैन्हें गरजै छै मेघ?
केकरोॅ हुमड़ै छै हृदय?
ई मेघ छेकै
कि केकरोॅ आँखी के लोर
काजर सॅ श्यामल
बरसै लेॅ ढलढल?
ई अन्हरिया दिनोॅ मेॅ
वियोगी कहीं भूली नै जाय राह
तही लेॅ दिखावेॅ छै
रोशनी के छड़ी
रही-रही केॅ मेघ।
ई मेघ नै हुएॅ पारेॅ, बैताल
जे कजरोटी सेॅ बाहर निकली
बढ़ाय लेलेॅ छै देह कोसो-कोस
केकरौ डरावै लेॅ
केकरौ कनावै लेॅ।
ई मेघ तेॅ नील देश्ेा के राजकुमार छेकै
केकरौ की कनैतै
कोय विरहिन केॅ देखतै
तो आपने कानी पड़तै
भोक्कार पारी केॅ।