बागीश्वरी: तीन साल
कौन तुम निरुपमे देवि करवानिी
नौल घनपटल में दमकती दामिनी?
उद्गीति साम की, शक्ति तुम प्राण की,
ध्वंसिनी मोह-मद-दम्भ-अभिमान की।
शिवा, दिशावेशा, अजा, अपराजिता,
महाभावरूपा, नवराग र´्जिता।
सिद्धि तुम, तुष्टि तुम, परागतिपावनी,
तेजःप्रकाशिनी, श्रुतिमौलिमालिनी।
उष्णता अग्नि की कल्याणकारिणी,
गाथा पुराण की तुम चन्द्रभालिनी।