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नुगरा माणस आंख बदलज्या समझणियां की मर हो सै / मेहर सिंह

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ले कै दे दे करकै खाले उसतैं कोण जबर हो सै
नुगरा माणस आंख बदलज्या समझणियां की मर हो सै।टेक

नुगरा चाले धरती हालै हर हंसान डरै उसतैं
महाभारत और भगवत गीता बेद कुरान डरैं उसतैं
धु्रव भगत और सप्तऋषि दीन ईमान डरैं उसतैं
और के ज्यादा जिक्र करूं वो खुद भगवान डरैं उसतैं
खानदान घर के बालक नै जात जाण का डरै हो सै।

परमेश्र नैं दो जात बणा दी एक टोटा एक साहूकारा
एक बेल कै दो फल लागैं एक मीठा एक खारा
जिसकै धोरै पैसे हों वो सबनें लागै प्यारा
जिस माणस कै टोटा आज्या भाई दे दुतकारा
टोटे के म्हं बालक बिकज्या फेर बिकण नै घर हो सै।

एक झुण्ड कै दो सरकण्डे करतब न्यारा-न्यारा
एक सरूबे की कलम बणे एक का घलज्या ढारा
एक माटी के दो बर्तन हों एक नमूना तार्या
एक म्हं घलता गन्दा पानी एक बणैं घी का बारा
बरते पाच्छै तोल पटै सै ना तो किसकै कोण बिसर हो सै।

आदम देह म्हं जनम ले लिया करकै खाणा चाहिये
गिरता गिरता माणस गिरज्या कितै ठिकाणा चाहिये
जिस भाई के काम ओटले वो प्रण निभाणा चाहिये
जाट मेहरसिंह गाया करै इसा दंगली गाणा चाहिये
जड़े घड़वें पै टीप बन्धै तेरा पहलम चोट जिक्र हो सै।