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नुचे पंख-पंख / विमल राजस्थानी
Kavita Kosh से
चलो एक गीत और आज हुआ पूरा
पिछले जीवन में जो रहा था अधूरा
चलो एक गीत और आज हुआ पूरा
इधर-उधर नहीं थमी
शशि-मुख पर दृष्टि जमी
जाँच लिया, परख लिया
रंच मिली नहीं कमी
सोने-सी काया पर झरा रजत चूरा
चलो एक गीत और आज हुआ पूरा
न्यौछावर किये प्राण
हँस कर उर किया दान
अधरों से झरे गान
साँझ बनी नव विहान
किन्तु, बनी चन्द्र-मुखी हृदय-हीन, क्रूरा
चलो एक गीत और आज हुआ पूरा
नकली थी चन्द्र-किरण
नग्न-काय, निरावरण
पंछी ने गही भूल-
बाजों के गेह शरण
नुचे पंख-पंख, अस्थि-मांस गया थूरा
चलो एक गीत और आज हुआ पूरा
पिछले जीवन में जो रहा था अधूरा
-4.7.1973