भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नुनु तोरा बोलाय छै / राधेश्याम चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बात करतें-करतें हेराय जाय छियै
सुनोॅ-सुनॉे लागै छै तोरोॅ कंगना
जबेॅ नुनु तोरा बोलाय छै
तोरा बिन सुनोॅ लागै छै ऐंगना।
पायल रोॅ आवाज कहाँ गेलै
जबेॅ कानोॅ मेॅ पायल बागैं छै
चंदा रोॅ कहै छियै, नुनु तोरा बोलाय छै
तोरा बिना बहलाय-फुसलाय केॅ करै छी
तोरा यादोॅ मेॅ हम्मेॅ समय बिताय छी।
हम्में तोॅ एक जगह छियै
पियार नै मिलेॅ पारै छै
केना हम्मेॅ अय्यै, जबे दिल टुटी गेलोॅ छै
चहुँ ओर बंद छै चेहरा नै चिन्हाय छै।
फोटो सामनेॅ आबी जाय छै
पियार रोॅ कर्ज छै, रिस्ता निभाय छियै।