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नूंवे रो थापन / कुंदन माली
Kavita Kosh से
कुदरतो राजपाट में
नवसींखिया राजा ने
देवण वाला
दे दीनी है
घणा मन सूं मात
आज सू
नूंवै राजा रे
थापन री त्यारियां
घणा जोर सूं
चाले है
इण बिचालै
अेक ऊंदरो
राजा रे कान रे
चौंफरे उछलै कूदे
अर कोसिस करे
जाणणे री
नूंवो राजो
राज सभालिया पछे
लोक चायो बरताव करेलो
क’ जेब मांय
ठूं सियोड़ा कांघसिया सूं
दूजा जीवां रे
सरीर माथै
घाव करेलो।