भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नूतन राग / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


पोथी बाँचते
बच्चों का कलरव
बेसुरा नहीं होता
मैंने सुना है
लय है इसमें
ताल भी
बनती है संभावना
नूतन राग की।