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नूतन वर्ष / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
आता है हर बार साथियो
जग में नूतन वर्ष
स्वागत में सब लोग खड़े हैं,
लेकर मन में हर्ष
मिलजुलकर हैं सभी नाचते,
हर्षित होकर एक
नहीं द्वेष या मन में कटुता,
रखे इरादा नेक
उत्साहित हो सभी चाहते,
सबका हो उत्कर्ष
भाईचारा सबको प्यारा,
रहे नहीं मतभेद
आपस में कुछ कटुता हो तो,
प्रगट करें हम खेद
बनी रहे अक्षुण्ण एकता,
करें नहीं संघर्ष
जग में सबको मिले सर्वदा-
भोजन वस्त्र मकान
विश्व गुरु की गाथा गूँजे,
भारत बने महान
खुशहाली जग की चाहूँ बस,
यही एक निष्कर्ष